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प्रस्तुत है आपके लिये एक दिलचस्प कहानी |

सूर्य पश्चिम की ओर छुप रहा था। सूर्य और देवकी का मौन संवाद शुरू हो गया । वह मानो देवकी से कह रहा हो, "हर दिवस का अंत होता है, देवकी! आज अँधकार दे कर जा रहा हूँ, कल नई सुबह लेकर फ़िर लौटूँगा।" देवकी निराश होकर मन ही मन बुदबुदाती है, "जिस की आँखों से ज्योति ही छीन जाये उसके लिए प्रकाश क्या और रौशनी क्या?"

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