लफ्ज़ मेरे सही, मैंने कही सबकी बात है, इन पन्नो में बिखेरे, दिल के ढेरों जज़्बात हैं, थोड़ी मोहब्बत की कहानी, थोड़ा दर्द-ए-दिल का ज़िक्र है, कहीं बात जश्न-ए-ज़िन्दगी की, तो कहीं मरती इंसानियत की फ़िक्र है, है नहीं कुछ भी और दोस्तों, बस यही बयान-ए-शिखर है!!