यह कहानी आजादी के पूर्व भरतंकी है उपन्यास के नायक दो भाई हैं: बालकिशन और श्याम। बालकिशन लक्ष्मी को उसकी उम्र से दुगने आदमी से बचाने के लिए उससे शादी करता है। वह अपने पिता की तरह सरकारी स्कूल में शिक्षक के पद पर कार्यरत था। जबकि श्याम एक अच्छे अंग्रेज न्यूमैन के मार्गदर्शन में रेलवे में भर्ती हो जाता है। जब भारत छोड़ो आंदोलन ने जोर पकड़ा, तो दोनों भाइयों ने ब्रिटिश सरकार की नौकरी छोड़ दी और राष्ट्रवाद जागरूकता और महिला सशक्तिकरण के लिए एक अखबार शुरू किया। कहानी भले ही उथल-पुथल भरे समय पर आधारित हो, लेकिन मानवता इसके प्रमुख विषयों में से एक है। चाहे लक्ष्मी हो या न्यूमैन - दोनों भाइयों ने पूरी करुणा के साथ काम किया। दरअसल, छोटा बेटा श्याम आजादी के लिए इतना दृढ़ और समर्पित था कि उसने कसम खाई कि जब देश आजाद हो जाएगा, तब वह शादी करेगा। उसका संकल्प था